कोरस : द दरा रे दरा रे
द दरा रे दरा - द दरा रे दरा
प्रतिध्वनि सुनो, प्रतिध्वनि सुनो
दरा रे दरा रे . . .
कोरस गाते हुए पूरे नाटक क्षेत्र
में फैल जाते हैं , फिर अलग- अलग तरह
से कराहते हुए सेन्टर पर एकत्र होते
हैं। आलाप।
- थोड़ा और हिम्मत कर, बेटा (सहायता के लिए चारों ओर देखता है।)
- जरा मदद कर दो। बेहोश हो गया है। थोड़ा सहारा दे दो। इमरजेन्सी तक ले चलो।
- हम अपना मरीज सँभालें कि...
- रात भर दे पल्टी दे पल्टी
- हलकान हो गया है
- हमारा मरीज तो दो दिनों से पेट दर्द और दस्त से परेशान है
- अस्पताल के भीतर बैठा के आये हैं
- डाक्टर को ढॅूढ़ रहे हैं।
- हॉ आये
- अरे डाक्टर साहब आय गये
- नहीं आये, सुना है दौड़े पर गये हैं।
- अरे-अरे काहे चढ़े चले आ रहे हो जरा दूर-दूर रहो
- जानत नहीं पूरे गॉव में कालेश फैला है।
- अरे इसके साथ कौ है, देखो इसे दस्त हो रहा है
- हे भगवान, आह, बड़ी जोर से पेट पिराय रहा है
- अरे हमरी तो जाने निकल जाई, अरे राम रे
- डाक्टर साहब, दवाई। दवाई, डॉक्टर साहब
- काहे मरे जाय रहे हो, डाक्टर अबही नहीं आये
- बूढ़ आदमी का कोऊ देखे वाला नहीं
- यही हाल सबके हैं
- असली बात है हम लोगन के पास पइसा नहीं न, वरना...
- हॉ, इलाज बहुत मँहगा होई गवा है
- भइया, इहॉ भर्ती होय से अच्छा है सीधा ऊपरे का पर्चा बनवाय लो
- ऐसा नहीं, सरकार हम गरीबों के लिए मुफ्त इलाज की व्यवस्था किये हैं
- घण्टा
- अरे भाई, कार्ड मिला है हम सबका
- कउन, बी.पी.एल. कार्ड?
- औ का दिखाई
- हम का करब डाक्टरे का दिखाओ
- भइया, जॉच के वक्त इ कार्ड उ दिखाय दियो
- बस दवाई ये दवाई भर दीन्ह जाई तुम्हरे
- तब पता लागी दवाई का होत है
- आज तीसरी बार बाहर से दवाई लेने भेज रहे हैं
- अरे हम तो तीन दिन से अन्दर बाहर ही कर रहे हैं। एक बार टिकिया, फिर सुई, फिर चढ़ाने के लिए पानी। बस यही तीन दवाई। बार-बार। अब का करें।
- तकदीरे खराब हैं तो का करिहो
- बीमारी भी हम पंचेन का पकड़त है
- इ नहीं कि कौनो बड़वार मनई का पकड़े रहे
- दुन्यों का काम चली। बड़वार मन ई और डाक्टर का।
- उ पंचे कम से कम बाहर से दवाई खरीद सकते हैं।
- सही कहत हो, इहाँ अस्पताल में तो दवाइये नही न
- बेकूफे हो का, उई लोग सरकारी अस्पताल म काहे आइ हें
- औ का प्राइवेट नर्सिग होम जायेंगे
- अरे नहीं, उइ लोग मुफ्त की दवा लेने के लिए सरकारी अस्पताल आवत हैं
- अब बस करो
- तुम चुप रहो
- यही तो नहीं समझत
- अस्पताल में दवाई - ये नहीं
- अफरे में गोहूँ छोड़ के आये हैं इलाज करवाने
- मजबूरी जौन न कराय भइया
- अबे पकड़ जाये न पावे
- बहुत जालिम है साला। दौड़ो दौड़ो
- कौन है? बताओ
- अबे पकड़ कर रख
- काहे नहीं भर्ती कर रहे हो
- कन्डीशन सीरियस है।
- कल से बाहर सीढ़ी पे पड़ी चिल्ला रही है
- जनानी है
- पेट से है, कुछ तो खयाल करो
- कइस आदमी हो तुम
- कल ही बता दिया था कि खर्चा पड़ेगा। पाँच हजार जमा कर दो भर्ती कर लेंगे
- क्या खर्चा पड़ेगा
- सरकारी अस्पताल है उसके पास कार्ड भी है फिर भी रुपये देने पड़ेंगे
- खैराती घर समझ रखा है
- तो कार्ड क्यों दिया गया है
- फर्जी है वो कार्ड, समझे
- क्या, कार्ड की बनवायी सौ रुपए पड़ी है, ऐसे थोड़े ही
- तो हम क्या करें
- सरकार तो जच्चा-बच्चा को रुपये देती है
- तुम न जाने का बक रहे हो
- ज्यादा फिकर हो तो ले जाओ किसी प्राइवेट नर्सिंग हो। यहां जरूरी मशीनें नहीं हैं।
- वहॉ भी जच्चा को रुपये मिलेंगे?
- अरे इहाँ आओ जल्दी
- सुरसतिया के तबियत ज्यादा बिगड़ गयी
घेर के खड़े हो जाते हैं
पैरों की छटपटाहट। चिल्लाने
की आवाजें। पैर स्थिर।
रोने की आवाजें।
- अरे मोरि बिटिया रे... भौजी रे... बहिनी रे... अम्मा रे...
दो लोग बॉडी लेके चले जाते हैं
- हमार भइया बतावत रहें कि सरकार ग्रामीणों, खासतौर पर औरतन के उपचार के लिए काफी रुपिया दिहिन है
- तो ई का हो रहा है
- अगर सच्ची मुच्ची इतना रुपिया दिया है तो सब रुपिया गवा कहाँ ऐं
- बता सकते हो भाई
कोरस
हाँ कोई है वजह
कोई है वजह
तड़पाने का मजा यों आने लगा
ये हवाओं में है क्या
थोड़ा-सा जो नशा यों छाने लगा
ये पइसा हाय बइठे बिठाये जन्नत दिखाये हाँ
ओ रामा
गीत समाप्ति के पहले दो लोग
निकल कर अलग से खड़े
हो जाते हैं
- हट बे, इस चौराहे पर मेरी ड्यूटी है।
- दिमाग खराब है क्या?
- अगले चौराहे पर जा
- ताकि यहॉ की वसूली तुम अकेले पेल जाओ
- तो तू उस चौराहे पर वसूल कर लेना
- सन्नाटे में फूल नहीं खिला करते बेटा, वहाँ पर क्या भूतों से वसूली करूँगा। हट यहाँ से, ट्रकों के आने का टाइम हो रहा है।
- अच्छा ले ये दस रुपये बोअनी कर ले और जा उस चौराहे पर।
- भीख थोड़े ही लेनी है। मैं तो ड्यूटी करूँगा ड्यूटी। जा यहाँ से मूड खराब मत कर।
- रुक वे, ड्यूटी करने का भूत अभी उतारे देता हूँ।
- तेरी तो...
- अरे पुलिस वाले होकर आपस में ही लड़ रहे हो? ई कौन-सी बात हुई?
- तब हम लोगों को कौन बचायेगा मवालियों से?
- भीड़ को कन्ट्रोल कौन करेगा?
- बहुत हो गया अब छोड़ो।
- बात क्या है जो तुम लोग जानवरों की तरह लड़ रहे हो?
- बात क्या है?
- बात तो बताओ।
- क्या बात है?
- पूछो न पूछो मुझे क्या मिलेगा
- पूछो न पूछो मुझे
- ये पइसा हाय बैठे बिठाये, जन्नत दिखाये हाँ
- चल पड़े हैं गाँव
- चल पड़ा इण्डिया
- चाचू चाचू ये इण्डिया कहाँ है?
- एनएचआरएम में करोड़ों का घपला
- दो डाक्टरों का मर्डर
- एक डाक्टर जेल में जख्मी हालत में मृत पाया गया
- बीसियों जगह एक साथ छापे पड़े
- छापों में नोटों से भरा बोरा मिला
- और कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ मिलीं
- कुछ वी.आई.पी. सन्देह के घेरे में
- सीबीआई ने कुछ दवा सप्लायर्स को संदेह के घेरे में लिया
- कुछ लैपटाप बरामद किये
चारों ओर फैल जाते हैं।
- ई सब का चिल्ला के बक रहे हैं प्रधान जी?
- जब से बोलेरो और ट्रैक्टर खरीदा है, ई सालेन के नींद हराम हो गयी है, मारे जलन के
- आप भी कमाल के आदमी हैं। असली नस पकड़ लेते हैं, वैसे मेरे भी . . . ही ही ही
- सुनो, अच्छा पूरी बात जल्दी से बोल जाओ।
- मेरे भी दिमाग में यही बात आ रही थी असल में . . . .
- मेरा यह मानना है कि जब सरकार ने रुपिया खर्च करने का अधिकार हमें दिया है तो खर्च कर रहे हैं अपने हिसाब से।
- बिल्कुल ठीक। अब बताओ सौ दिन के काम देय से कौनो पर कुछ फरक पड़ी का?
- और फिर रेट भी सही नहीं लगाते हैं
- कम रुपियात दीह जात हैं
- थोड़ा मुंह लगा लिया तो जो चाहे बोले जा रहे हो, क्या बोल रहे हो समझते भी हो। बरबर बरबर...
- अरे छोड़िए आप भी पांचवां फेल आदमी की बात ले कर . . . . . .
- प्रधान जी, असली बात है...
- क्या है असली बात बोलो। तुम लोगों ने हमें समझ क्या लिया है, ऐं
- मेरा मतलब है साल के दौ सौ पैंसठ दिन वो क्या करें - भार भूने?
- (ही ही ही) देखो तुम लोग तो मेरे अपने आदमी हो। सही बात ये है कि कुछ रुपिया अगर दाब के न रक्खी तो जरूरत पर केहिसे माँगी... आडिट करे वालन क जेब गरम करने, उन्हें चाय-पानी के साथ 'घनघोर महा ठण्डी' भी पिलानी होती है।
- सही बात है, अगर इत्ता पइसा घर से लगाना पड़े तो हो गयी प्रधानी
- मजबूरी है भय्या, माल दबा के रखना
- कुछ रुपिया तो ऊपर भी भेजना पड़ता है, कै प्रधान जी
- अरे पिछली बार का भवा...
- कब?
- जब नरेगा वाले आये थे, औचक निरीक्षण में
- प्रधान जी वो दॉव खिलाइन कि वो साले चारों खाने चित
- कट के हाथे में आ गयी रहे
- का करते बताओ। एक के बाद एक आब्जक्शन, हद हो गयी... एकाउन्ट का मेन्टेनेन्स ठीक नहीं, बड़े भुगतान नकद और छोटे भुगतान चेक द्वारा
- भुगतान में प्राप्तकर्ता के हस्ताक्षर नहीं हैं।
- सौन्दर्यीकरण नहीं कराया गया। ताल का डायमेन्सन कम। कुछ ही लोगों को बार-बार काम दिया गया, जबकि...
- काम किन को दिया, किन को नहीं, ई तय करे वाले ऊ कौन होत है
- अरे सीघा हिसाब है
- दस-बीस म रुपिया बँटा और पाँच का रुपिया बचा लिया, वक्त जरूरत के लिए
- सुनो तो, और भी आब्जेक्शन हैं। रुपिया जिन में बँटा उनमें कितने झगड़े कितने पिछड़े कितने अति पिछड़े कितने दलित, कितने स्त्री-पुरुष हद्द हो गयी
- बताओ भला
- सरकार का काम। हर बात में जात जरूर घुसेड़ देहें। पैदा होय से मरे तक हर काम में जात
- अमा, रुको यार
- फिर का भवा प्रधान जी
- भन्ना गयी खोपड़ी साली। हमहू न देखा आव न ताव। धर दिये पूरी पेटी। कहा चर लो जितना चर सको
- पूरी पेटी?
- आपौ प्रधान जी
- फिर
- फिर का आँखें फाट गयीं सालेन के
- अब ई न पूछो कि रुपिया लिहिन कि न हीं
- हां हां हां (हंसी)
- चल पड़े हैं गांव, चल पड़ा इण्डिया
- चाचू चाचू ये इण्डिया कहाँ चल पड़ा है
- आनाज घोटाला उर्फ सड़ता गेहूँ, भूखे लोग
- तिस पर हर चीजों के दाम बढ़े
- पेट्रोल साढ़े सात रुपये महंगा
- नहीं... कह दो कि ये झूठ है... झूठ है... (रोते हुए)
- कह दो, कह दो कि ये झूठ है
- अरे कुछ तो रहम करो
- तुझे मेरी कसम, तुझे... तुझे मेरी कसम (कहते हुए बेहोश हो जाता है)
- अरे . . . अरे . . . अरे . . .
- इसे क्या हो गया
- बेहोश हो गया
- कैसे?
- गर्मी से
- अरे नहीं घोटालों से
- अबे नहीं महंगाई से
- क्या घोटालों और घपलों का मंहगाई से कोई रिश्ता नहीं
- पता नहीं
- क्या पता
- कहा तो पता नहीं
- चारा घोटाला
- मिड डे मील घोटाला
- आवास घोटाला
- स्कूल बिल्डिंग घोटाला
- टीईटी घोटाला
- खेल घोटाला
- हेलीकाप्टर घोटाला
- फलाना घोटाला
- देमाका घोटाला
घोटाला ही घोटाला, बस घोटाला ही घोटाला ...
जहाँ भी देखो - घोटाला
जहाँ भी झाँको - घोटाला
हम जम के करेंगे - घोटाला
तुम भी कर लो - घोटाला
हम करते रहेंगे - घोटाला
तो भाइयो हम क्या नहीं करेंगे
- छोटा छोटा घोटाला
हाँ, घोटाला घोटाला घोटाला घोटाला घोटाला
- चाचू, चाचू, ये क्या कह रहे हैं
- बड़े को गेल और छोटे का जेल
- चाचू, चाचू ये गेल क्या है
- अबे ये काफिया मिलाने के लिए कहा गया है
- सच्च में? तो ये काफिया क्या होता है, चाचू?
- (लात मारते हुए) चुप बे
- (लात खाकर गिर जाता है) ईमानदार हो या बेईमान, सताया छोटा ही जाता है।
- ही ही ही, अब क्या बतायें कि अपना सौवाँ प्रोजेक्ट अभी शुरू नहीं हुआ कि मार्केट में सौ अरब के शेयर बिक गये।
- सही समझा आप लोगों ने। कम्पनी की इस सफलता को सेलीब्रेट करने के लिए प्रस्तुत है यह रंगारंग कार्यक्रम
- म्यूजिक, जोक्स, डांस, और... और भी बहुत कुछ
- मुन्नी बदनाम हुई, अनारकली, रिंगा-रिंगा, बीड़ी जलैले, चिकनी चमेली, शीला की... हू लाल हू लाला जैसी पारम्परिक रचनाओं पर प्रस्तुत किया जायेगा...
- शास्त्रीय नृत्य जो हमारे देश की परम्परा ही रही है
- हमें छोड़कर कहीं न जाइएगा। पूरे शो का जिन्दा प्रसारण
- पूरे देश की बेरोजगार और भूखी जनता के बीच किया जा रहा है ताकि वे सब अपना दुख दर्द भूल सकें
- तो एन्ज्वाय करिए झूम के। चाहे लोग कहें पगला दीवाना या आवारा, पर याद रखिए ये जिन्दगी न मिलेगी दोबारा
- सो लेडीज एन्ड जेन्टिलमेन, प्लीज एन्ज्वाय एवरी मोमेन्ट. प्लीज एन्ज्वाय, एन्ज्वाय एन्ड एन्ज्वाय
- एन्ज्वाय, एन्ज्वाय! क्या खाक एन्ज्वाय
- क्यों रोता है वे
- शान्त रहो
- डांस शुरू होने वाला है - डेली बेली स्टाइल में
- अरे मेरी तकलीफ सुनने वाला कोई नहीं
- ओए तकलीफ के बच्चे, चुप्प
- भाई मेरे, डांस देख डांस, सब टेन्शन दूर हो जायेगी
- थोड़ी लगा ले तो मौज ही मौज
- हद्द हो गयी, ये सभी साथ के लोग हैं और मेरी तरह दो-तीन बच्चों के बाप। नंग नाच के चक्कर, देश के लोगों की फिक्र ही नहीं।
- देश बड़े संकट से गुजर रहा है
- हवा में बेईमानी धुल गयी है
- हवस सभी सीमाएं तोड़ चुकी है
- घोटालों और घपले के काले फूल...
- अरे रुको, घोटाले-घपले हनुमान की पूँछ की तरह बढ़ते ही जा रहे हैं
- नये जमाने का बसंत
- ये सब नयी आर्थिक नीति की देन है
- बेवकूफ है क्या
- राजनीति की बातें कर रहा है
- भ्रष्टाचार ने सुनामी की तरह विकराल रूप धारण कर लिया
- पूरा देश तहस-नहस हो जायेगा
- उसी भ्रष्टाचार में फंसा हूँ
- हें हें पूरी दुनिया ही फंसी है भ्रष्टाचार की बाढ़ में
- और ये बेबकूफ अपनी ही पेले जा रहा है
- त्राहि त्राहि - माहि माम
- अरे इतनी तेज हवा
- आंधी है आंधी
- गांधी आ गये क्या
- नहीं, वे आंधी हैं
- टीवी देख, कोई भी चैनेल
- पता तो लगे आखिर मामला क्या है।
- अरे बचाओ बचाओ
सभी आंधी के प्रवाह
में गिर पड़ते हैं
कोरस - महामानव महामानव महामानव हाँ
महामानव का प्रवेश
वह अगल बगल कुछ
सूंघने का प्रयास करता है
महामानव - कुछ तो है। हाँ, बिल्कुल है। अब आवश्यक हो गया है
- देश को बचाना
- भ्रष्टाचार से मुक्त कराना
- इण्डिया को बचाना
- असहनीय
- इन्टालरेबिल
- इम्पासिबिल टू टालरेट
- आधी रोटी खाना है, काला धन वापस लाना है
- चाचू, चाचू, ये काला धन क्या होता है
- चुप बे
- चुप बे
- चुप बे
- आधी रोटी खाना है
- काले को सफेद बनाना है
- मैंने ऐसा तो नहीं कहा था
- अरे रफ्ता-रफ्ता मेरा आँख जिससे लड़ा है
- आँख जिससे लड़ा है वो पास मेरे खड़ा है।
- सभी लोग दिल से बोलो काला धन हमारा है, उसे तो वापस लाना है
- हूज दैट
- ये कौन है
- आपका परिचय
- टीवी बाबा की जय
- ऐ सबसे बड़ा तेरा नाम रे
ओ टीवी बाबा
कर दे तू हमारा कल्याण रे
- हमारा कहना है कि जो धन हमारे देश से ले जाकर बिदेशों में काला धन के रूप में जमा किया गया, उसे हमको वापस अपने देश में लाना है जिससे हमारा देश उन्नति कर सकेगा। गरीबी दूर हो जायेगी
- स्वामी जी, जो काला धन देश में भरा है उसे पहले निकलवा लेते
- ...और इसके लिए हमें आन्दोलन करना होगा।
- केन्द्रित करिए अपने ध्यान को, तभी हमारा आन्दोलन जो भ्रष्टाचार के खिलाफ है, सफल होगा। इसके लिए हमें शुद्धिकरण यज्ञ करना होगा जो राजधानी में अगली 13 तारीख से प्रारम्भ होगा।
- ये यज्ञ हम सबकी भलाई के लिए किया जा रहा है
- ये यज्ञ नहीं, आन्दोलन है
- जब तक ये यज्ञ शुरू नहीं होता, आप सब पुतले वगैरह फूंक कर अपना आक्रोश व्यक्त करिए।
तीन लोग आग जलाने
की कोशिश करते हैं
- लाख प्रयासों, टोने-टोटके के बावजूद यज्ञ की अग्नि प्रज्ज्वलित नहीं हो रही है। बलि देनी होगी, राजन बलि
- दे दो, सड़क चलते, खेत मजूरी करते आम आदमी की बलि
- आम आदमी की तो रोज ही बलि दी जा रही है
- महंगाई डायन रोज ही आम आदमी के खून से अपनी प्यास बुझा रही है
- कर्ज के बोझ से दबे लोग आत्महत्या कर रहे हैं
- आर.टी.आई. डालने वाले लोगों को गोलियाँ मारी जा रही हैं
- लेबर क्लास भुखमरी का शिकार हो रही है
- इसलिए बलि तो किसी विशिष्ट व्यक्ति की ही दी जायेगी
- तुम्हीं बताओ इतने सारे मंत्रियों में से किसकी बलि दी जाय
कोरस -
- इतना जुल्म मत करिए
- इनको फाँसी देने पर हम जैसे तमाम ठेकेदारों का रुपिया डूब जायेगा।
- हम बरबाद हो जायेंगे
- इन्हें छोड़ दीजिए और हम सब पर कृपा कीजिए प्रभू
- कुछ तो सोचिए
- ठीक है इनकी थोड़ी-सी नाक काटकर कुण्ड में डाल दो। अग्नि प्रज्ज्वलित हो जायेगी
- अरे अरे आग की लपटें आसमान छूने लगीं
- इसके उजाले से डर कर भ्रष्टाचार सदा के लिए इण्डिया छोड़कर चला जायेगा
- किसानों की आत्महत्याएँ रुक जायेंगी
- उच्च पदों पर भ्रष्टाचार समाप्त हो जायेगा
- नेता मंत्री ईमानदार हो जायेंगे
- और व्यवसायी और कर्मचारी कर्तव्यपरायण
- नमक बराबर भी भ्रष्टाचार नहीं बचेगा
सभी गाते हैं
- शुद्धिकरण यज्ञ सफल हुआ
- जनता की जीत हुई।
- आम आदमी की खाली झोली, अधिकार से भर उठेगी
- कोई न होगा भूखा नंगा
- और न होगा प्यासा
- कोई न होगा भूखा नंगा
- और न होगा प्यासा
- मिलती रहेगी समान सुविधा
- रहेगी न कोई दुविधा
- झूठ बोलते हैं ये सब, झूठ
अरे इसे क्या हो गया एकाएक
अभी तक तो ठीक था
बताओ भाई क्या हुआ, कुछ तो बोलो
बन्द दरवाजों को तो खोलो
- कोई नहीं सुनता मेरी, कब से गला फाड़ रहा हूँ, छोड़ो सारी दुविधा-शंका, मुझको तुम बतलाओ कहो कहानी सच्ची अपनी, हमको मत बहकाओ, मदद पूरी होगी तेरी, अब तुम मत पछताओ, आ जाओ शरण हमारी, बचपना मत दिखलाओ, चमक रही हैं दिशाएँ चारों यज्ञ के प्रभाव से भाग रहे हैं लोग सारे भ्रष्टाचार के अभाव में
- बोलो भाई बीबी बच्चे हैं तुम्हारे
- जी बीबी है बच्चे बोले तो दो बेटे
- दो दो बेटे, वेरी लकी, वेरी लकी, क्या करते हैं
- बड़ा बी.टेक के फोर्थ इयर में और छोटा एमबीए के फर्स्ट इयर में
- तुम क्या करते हो
- सर्विस
- कहाँ
- निबन्धन कार्यालय, रजिस्ट्री आफिस
- रजिस्ट्री आफिस
- क्या बात है
- अबे इतना माल काट रहे हो। फिर क्या दिक्कत?
- यही तो दिक्कत है
- इन्टरेस्टिंग
- जरा डिटेल में बताओ
- रुको रुको जरा ठीक से एडजस्ट हो जाऊँ
- ये... हाँ अब बताओ
- बताना क्या आप तो सब समझ ही रहे हैं। जिस सीट पर काम करता हूँ, पर डे बहुत अच्छी कमाई है, हिस्सा बँटवारे के बाद भी मजे का बच जाता है। इसी के सहारे बच्चों को इतनी महंगी शिक्षा दे पा रहा हूँ
- तो अब कौन-सी आफत आ गयी?
- नये अफसर ने मुझे दूसरी सीट पर ट्रांसफर कर दिया, जहाँ मक्खी भी झाड़ा फिरने नहीं आती। केवल तन्ख्वाह से होता ही क्या है, कैसे पढ़ा पाऊँगा कुछ समझ में ही नहीं आता।
चारों लोग सलाह करते हैं
- ऊ...की जा सकती है तुम्हारी मदद
- माल खर्च होगा
- इन्तजाम कर सकते हो
- कितना लगेगा
- दो
- दो लाख। ठीक है। पर काम तो हो जायेगा
- चिन्ता मत करो
- तो बात आगे बढ़ाऊँ
- जी बिल्कुल, रुपये आपको . . . . .
- परेशान मत हो
- रुपये हम तुमसे डायरेक्ट नहीं लेंगे
- तो फिर
- नो जल्दबाजी बेबी, सब बता दिया जायेगा
- रुपये उसी आदमी को सीधे देने होंगे
- हार्ड कैश
- करेंसी नोट हो तो बहुत अच्छा
- अब समझो तुम्हारा काम हो गया
- जिन्दगी भर तुम्हें कोई उस सीट से हटा नहीं पायेगा
- पर एक समझौता करना होगा।
- क्या
- बताते हैं बताते हैं
- सीट मिल जाने पर हर महीने की ऊपरी कमाई का फाइव पर्सेन्ट हमें देना होगा पूरी ईमानदारी से
- जी
- देखो हम सफाई-पसन्द लोग हैं। पहले ही बता देते हैं सब क्लीयर कट
- और बेटा, तुमने यदि लत्ती लगाने की कोशिश की तो सीट से हाथ धोना पड़ेगा।
- ठीक है, कहॉ जाना होगा और किससे . . . . .
- सब बता देंगे तुम्हें, समय आने दो
दर्शन दो घनश्याम नाथ
मोरी अंखियां प्यासी रे
- बैठिए, शाब अभी पूजा कर रहे हैं
- कितनी देर लगेगी, देखो हमें बहुत जरूरी काम है
- उनसे मिलना है तो बैठना तो पड़ेगा। रूटीन पूजा में घण्टा भर तो लग जाता है, पर आज अधिक टाइम लगेगा
- क्यों
- अन्ना जी
- अन्ना जी यहॉ पर, मैं समझ नहीं पा रहा हूँ।
- खुद ही बोले जा रहे हो तो
- नहीं नहीं भाई तुम ही बोलो
- आज से अन्ना जी अनशन आरम्भ कर रहे हैं, उन्हीं के स्वास्थ एवं सफलता के लिए विशेष पूजन शुरू हो चुका है। लाइव टेलीकास्ट भी हो रहा है। देखोगे।
- क्या लाइव टेलीकास्ट, बेवजह, फिजूलखर्ची। बट मैं देखकर क्या करूँगा। मुझे तो उनसे काम है। तुम समझ रहे हो न...
- कुछ तो है। पर नार्मल केस नहीं है।
- भाई, तुम्हारे साहब क्या...
- हाँ, बहुत बड़े भक्त हैं अन्ना जी के। लाखों रुपये चन्दा दे चुके हैं। आखिर क्यों न दें। एक अकेला, बीमार और बूढ़ा आदमी सरकार को टक्कर दे रहा है हम सब की खातिर, जबकि उनका अपना कोई स्वार्थ नहीं
- अन्ना तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं।
- क्या मतलब, संघर्ष केवल अन्ना कर रहे हैं और बाकी सब साथ में हैं केवल मिस्ड काल करके। भाई, समझ में नहीं आ रहा है मेरे।
- देखो, शाब की पूजा समाप्त हो गयी है। मीडिया वाले वापस जा रहे हैं। मैं देख कर आता हूँ।
- अन्ना तुम संघर्ष करो, हम तुम्हारे साथ हैं
- देखो, देखो, शाब आ रहे हैं
- वेरी वेरी गुड मार्निंग, सर
- जय भारत, कम से कम आज तो भारत माता की जय बोलिए, अन्ना जी आज से...
- जी, जी, जय भारत
- शाबास, बहुत अच्छे मेरे बच्चे। पर सर-वर लगाना ठीक नहीं लगता। अन्ना जी का कहना है कि...
- तो इज्जत देने लिए क्या कहूँ, सर?
- क्यों, अन्ना कहो, तुम भी अन्ना मैं भी अन्ना, हा हा हा...
- जी, वो आर.के. साहब ने आपसे आशीर्वाद लेने भेजा है
- हाँ पहचान रहा हूँ, जितना बोला था लाये हो न
- जी, जी, पूरे दो लाख हैं, सामने गिन दूँ या...
- ठीक है ठीक है, आज से तीसरे दिन, अपनी पहले वाली सीट संभाल लो बिन्दास। डोन्ट वॉरी, राज करो राज
- पर कोई अगर उस सीट पर बैठने न दे या काम करने से रोके?
- ऐसा होगा नहीं। जरूरत पड़ने पर मेरा नाम बोल देना कि बैठने के लिए मैंने कहा है।
- आपका नाम बता दूँ?
- हाँ बिल्कुल, क्या हर्ज है। परेशान मत हो, सब चलता है। सभी जानते हैं कि जन सेवा ही मेरे जीवन का ध्येय है।
- मेरे एक मित्र कहा करते थे कि भ्रष्टाचार की शुरुआत 'सब चलता है' से ही होती है। तो सर ये क्या बोल रहे हैं...
- तुम्हें या तुम्हारे मित्र को यदि कभी मेरी जरूरत पड़ती है तो मुझे फोन कर लेना या उसे लेकर सीधे मेरे पास आ जाना
- सर, मैं आपका आभार जीवन भर...
- ठीक है, ठीक है, डॉन्ट बी सो सेन्टी... अब जाओ ऐश करो
- सर...
- अब क्या, बोलो बोलो
- मैं तो डर ही गया था सर कि कहीं आप अन्ना के प्रभाव में तो नहीं आ गये
- इ श् श...
- आप झूठे, मक्कार, चोर और घूसखोर भी हैं... हैं न?
- ज... जी
- फिर भी आप भगवान में भक्ति, श्रद्धा और विश्वास करते हैं, है न?
- ह ह ह... अच्छा ये बताओ तुम बुरा देखते हो
- पचासों बार रोज
- बुरा कहते हो
- दिन में दसियों बार
- बुरा सुनते हो
- डेली सर
- फिर भी गांधी जी पर विश्वास और श्रद्धा करते हो... क्यों... अन्ना जी, बहुत महत्वपूर्ण एवं महान कार्य कर रहे हैं, उन पर श्रद्धा रखना, उनका पूर्ण सहयोग करना हमारा धर्म है... पर कर्म वो, अपनी जगह ही रहेगा न। ह ह ह , ये बेसिक चीज क्यों नहीं समझ पाते? हा हा हा
- भ्रष्टाचार का विरोध धार्मिक भाव से कर रहे हैं, पूजा-पाठ की तरह... और भ्रष्टाचार अपने जरूरी कर्म की तरह
- धरम अपनी जगह और करम अपनी जगह
- धरम और करम यदि दूर ही दूर रहे तो कोई परिवर्तन नहीं होने को
- तो कोई परिवर्तन नही होने को
- तो कोई परिवर्तन नही होने को
- तो कोई परिवर्तन नही होने को
कोरस - तो कोई परिवर्तन नहीं होने को